लोग कहते हैं रिश्ता नशा बन जाता है कुछ लोग कहते हैं कि रिश्ते सजा बन जाते हैं लेकिन अगर हर रिश्ते दिल से निभाया जाए तो वही रिश्ते जिन्दगी जीने की वजह बन जाते हैं जुनून होना चाहिए वैसे रिश्ता बनाने के बाद आप उसमें कमी ढुंढना शुरु करेंगे तो रिश्ता ज्यादा दिन तक कभी किसी भी कीमत पर नहीं रहे सकता तो रिश्ता बनाने से पहले कमी ढुंढना चाहिए बाद में नहीं वरना बना बनाया रिश्ता खत्म हो जाएगा बातों को समझने की कोशिश करिए ।
कई बार मैं मानता हूं कि रिश्ते में कमियां ढूंढना हमारी मजबूरियां हो जाती है जब सामने वाला हमारे सामने झूठ बोलकर या धोखा देकर वह सब कुछ कर रहा होता है जो हम नहीं चाहते ऐसे लोगों से रिश्ता तोड़ लेना ही सबसे अच्छा मानता हूं मैं क्योंकि ऐसे रिश्ते को हम जितना समय निभाएंगे वहां हम सब अपना समय नष्ट करेंगे और कुछ नहीं क्योंकि ऐसे रिश्ते की कोई सीमा नहीं है और ना ऐसे रिश्ते आगे चल पाते हैं क्योंकि जहां झूठ का सहारा लेना पड़े वह रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं टिकता अगर आपको कोई काम करना भी है तो सच बोल कर भी तो उस काम को किया जा सकता है ना सामने वाले को अगर पसंद होगा तो वह आपको परमिशन देगा नहीं है तो फिर आप उसके साथ रिश्ता निभाई है ना कई बार हम अच्छे रिश्ते सिर्फ इन्हीं कारणों से खो देते हैं हालांकि फिर हमें इतने अच्छे रिश्ते नहीं बनाने की मौके मिलते हैं ना कभी मिल पाते हैं हमें सिर्फ अफसोस होता है कि काश मैं उस समय उनको सच बता देती यह बताना चाहिए था लेकिन यह सिर्फ अफसोस ही रह जाता है क्योंकि तब तक हमारा रिश्ता उन लोगों के साथ बिल्कुल खत्म हो चुका होता है और वह भी उस रिश्ते को भूल चुके होते हैं कारण बिल्कुल साफ है क्योंकि हमने उस रिश्ते को आगे तक चलाने के लिए सिर्फ झूठ और धोखे का सहारा लिया है और ऐसे रिश्ते ज्यादा समय तक नहीं चल सकते जिस तो मैं हमेशा विश्वास का बहुत बड़ा योगदान होता है भरोसा बनाना बहुत आसान है लेकिन भरोसा आगे तक रखना यह हम पर निर्भर करता है। इसीलिए सिर्फ इतना ही कहूंगा कि हमेशा सच बोलकर रिश्तो को आगे बढ़ाएं बेशक वह रिश्ते आपके ज्यादा टाइम ना भी चले लेकिन उन रिश्तो में हमेशा विश्वास रहेगा लोगों को यादगार रहेगा। सामने वाले को भी अच्छा लगेगा कि कम से कम सच तो बोला था क्योंकि सच एक न एक दिन बाहर आ ही जाता है फिर हमारे रिश्ते बिगड़ने लग जाते हैं इसीलिए शुरुआत ही सच के साथ करो।
संसार का कोई भी सम्बन्ध/ रिश्ता जो गुणों, आदर्शों और व्यक्तित्व को अनन्य प्राथमिकता देने के स्थान पर धन, सामाजिक स्थिति, बुद्धिमत्ता, शारीरिक आकर्षण और सौंदर्य और वासना को प्राथमिकता देकर स्थापित किया गया हो। आपको कभी भी व्यक्तित्व और आदर्शों की ऊंचाइयों पर नहीं ले जा सकता है।
चलते चलते आज का अनमोल विचार
संबंध को जोड़ना एक कला है लेकिन संबंधों को निभाना एक साधना है जिंदगी में हमें कितने सही और कितने गलत हैं
यह सिर्फ दो ही शख्स जानते हैं एक हमारी अंतरात्मा दूसरा परमपिता परमेश्वर.
शुक्रिया मैसेज पढ़ने के लिए धन्यवाद मिलता हूं फिर एक नई पोस्ट के साथ आपका सवाई सिंह ( एस.एम सीरीज 3)
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