सवागत है

आपका "आज का आगरा" ब्लॉग पर सवागत है यह ब्लॉग मेरे मम्मी-पापा को समर्पित!..."वन्दे मातरम्" .सवाई सिंह

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शनिवार, अप्रैल 27

मोहब्बत साथ हो ये ज़रूरी नहीं,


       मोहब्बत साथ हो ये ज़रूरी नहीं,
              मोहब्बत ज़िन्दगी भर हो ये ज़रूरी है 😊😘



रोटी किसी माँ कि कभी ठंडी नहीं होती......




रोटी किसी माँ कि कभी ठंडी नहीं होती,
                मैने फुटपाथ पे भी जलते हुए चुल्हे देखे हैं॥



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शुक्रवार, अप्रैल 26

सपने हमेशा सच नहीं होते पर ज़िंदगी तो उम्मीद पर टिकी होती हैं।

कर्म, ज्ञान और भक्ति- ये तीनों जहाँ मिलते हैं वहीं सर्वश्रेष्ठ पुरुषार्थ जन्म लेता है। - अरविंद


उत्तम पुरुषों की संपत्ति का मुख्य प्रयोजन यही है कि औरों की विपत्ति का नाश हो।- रहीम

सपने हमेशा सच नहीं होते पर ज़िंदगी तो उम्मीद पर टिकी होती हैं।- रविकिरण शास्त्री

विश्व के निर्माण में जिसने सबसे अधिक संघर्ष किया है और सबसे अधिक कष्ट उठाए हैं वह माँ है।- हर्ष मोहन

पुरुष है कुतूहल व प्रश्न और स्त्री है विश्लेषण, उत्तर और सब बातों का समाधान। - जयशंकर प्रसाद

जो मनुष्य एक पाठशाला खोलता है वह एक जेलखाना बंद करता है। - अज्ञात

यशस्वियों का कर्तव्य है कि जो अपने से होड़ करे उससे अपने यश की रक्षा भी करें।- कालिदास

जब पैसा बोलता है तब सत्य मौन रहता है। - कहावत

मनुष्य अपना स्वामी नहीं, परिस्थितियों का दास है। -भगवतीचरण वर्मा

उदय होते समय सूर्य लाल होता है और अस्त होते समय भी। इसी प्रकार संपत्ति और विपत्ति के समय महान पुरुषों में एकरूपता होती है। - कालिदास

चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुँचा सकता जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझ कर पी न जाएँ।- प्रेमचंद

मानव का मानव होना ही उसकी जीत है, दानव होना हार है, और महामानव होना चमत्कार है।- डॉ. राधाकृष्णन

अवसर तो सभी को ज़िंदगी में मिलते हैं किंतु उनका सही वक्त पर सही तरीक़े से इस्तेमाल कितने कर पाते हैं?- संतोष गोयल
विजय गर्व और प्रतिष्ठा के साथ आती है पर यदि उसकी रक्षा पौरुष के साथ न की जाय तो अपमान का ज़हर पिला कर चली जाती है।- मुक्ता

धैर्यवान मनुष्य आत्मविश्वास की नौका पर सवार होकर आपत्ति की नदियों को सफलतापूर्वक पार कर जाते हैं।- भर्तृहरि

सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद

सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है। एक ज़ुल्मों के खिलाफ़ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरुद्ध। - सरदार पटेल

कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है। - सावरकर

संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास।- काका कालेलकर

जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है।–सत्यार्थप्रकाश

जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है- कहावत


यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है।- इंदिरा गांधी

प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजाओं के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिए। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजाओं की प्रियता में ही राजा का हित है।- चाणक्य

द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है।- विनोब

साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है परंतु एक नया वातावरण देना भी है।- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है। - जयप्रकाश नारायण

बाधाएँ व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिए, मंद नहीं पड़ना चाहिए।- यशपाल

सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिए उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना।- डॉ. शंकर दयाल शर्मा

जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है।- नारदभक्ति

धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं।- महाभारत

दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए। - रामायन

शाश्वत शांति की प्राप्ति के लिए शांति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शांति।- स्वामी ज्ञानानंद

धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है।- डॉ. शंकरदयाल शर्मा

त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहाँ भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं।- बरुआ

दुखियारों को हमदर्दी के आँसू भी कम प्यारे नहीं होते।- प्रेमचंद


मैं सब कुछ ‪भूल‬ सकता हूँ…तुम्हे नहीं माँ ,‪

मैं सब कुछ ‪भूल‬ सकता हूँ
        तुम्हे नहीं माँ ,‪
                मुस्कुराने‬ की वजह ‪सिर्फ‬ तुम हो।


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