सवागत है

आपका "आज का आगरा" ब्लॉग पर सवागत है यह ब्लॉग मेरे मम्मी-पापा को समर्पित!..."वन्दे मातरम्" .सवाई सिंह

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बुधवार, मार्च 23

ईमानदारी एवं सादगी पूर्ण जीवन ही सर्वोत्तम जीवन है!

 "सादगी और ईमानदारी" मानवता की सर्वोत्तम और सच्ची परिभाषा मान्य है! हां आज के समय में "न ईशा पीर और न मिला पीर पर पैसा को ही सबसे बड़ा पीर माना जा रहा है, बेरोजगारी, गरीबी और गरीबी की आड़ में मनमानी धांधली कर पैसा कमाया, गाया जा रहा है! कोई सुनने वाला नहीं है! इसीलिए ईमानदारी और सादगी व सच्चाई का जीवन जीना कठिनाइयों भरा है! परंतु आप इस राह को छोड़िएगा मत ईमानदारी और साथ के साथ जीना थोड़ा कठिन जरूर है अपने ही लोग शत्रु बन जाते हैं क्योंकि आप उनको गलत काम करने से रोकते हैं और समय आने पर उनका हिसाब जरूर होगा क्योंकि ऊपर वाले की अदालत हमेशा ऑनलाइन रहती है आपके द्वारा किए गए कार्य आपको ही इस जीवन में भुगतने होंगे। मानता हूं इमानदारी के साथ काम करना थोड़ा मुश्किल जरूर है।

परन्तु ईमानदारी व सादगी का जीवन सुख, शान्ति और सन्तोष मय व्यतीत होता है! दिन और रात सुखमय गुजरते हैं! हां, बेईमानी, बदमाशी, बदनीयत, और मतलबी पसन्द वाले दखल देने से नहीं चूकते हैं। ऐसे ही कथित अवगुणी कष्टकारी एक समय में अपने दुष्कर्मों का परिणाम भोगते तो अवश्य ही है! इसीलिए ईमानदारी एवं सादगी पूर्ण जीवन ही सर्वोत्तम जीवन है! ऐसा मेरा मानना है बाकी ऊपर वाले की लीला है वह जितना हम से करवा दे। मन में बस एक ही आशा है कि कभी किसी के साथ गलत ना करू। अपना काम इमानदारी के साथ करने की तमन्ना रखता हूं पर लोग उस मे रुकावटें डालने का प्रयास करता है। फिर ना चाहते हुए भी सांप जैसा नेचर रखना पड़ता है। शुरुआत आप करो खत्म हम करेंगे।

चलते चलते आज का अनमोल विचार

रात भर गहरी नींद आना इतना आसान नहीं,

उसके लिए दिनभर ईमानदारी से जीना पड़ता है !!

मिलता हूं अपनी एक नई पोस्ट के साथ आपका सवाई सिंह राजपुरोहित (एस.एम सीरीज 3)

सोमवार, मार्च 7

हमेशा अपनों के साथ रिश्ता बनाए रखें

हमेशा अपनों के साथ रिश्ता बनाए रखें क्योंकि जो यह अपने होते ना यही अपने हैं सबसे अच्छे प्यार भरे रिश्ते बनाए रखें क्योंकि कब कौन कहां काम आ जाए यह किसी ने नहीं सोचा है हाल ही कुछ घटनाओं के बाद मैं ऐसा कह सकता हूं। आपके द्वारा किए गए अच्छे कार्य और अच्छे रिश्ते आपको हर वक्त मदद पहुंचाने का प्रयास करते हैं और मैं ऊपर वाले का शुक्रगुजार हूं कि उनको मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ती वह हमेशा मेरे लिए कोई ना कोई रास्ता दिखा ही देते हैं और अपने होने का एहसास मुझे दिलाते हैं वह मेरे साथ है भोले बाबा आपकी कृपा मुझ पर ऐसे ही बनी रहे ।

आज का अनमोल विचार

लड़ लो , झगड़ लो , पर परिवार से अलग होने की कभी मत सोचो क्योंकि उन पत्तो की कोई कदर नही होती जो पेड़ से अलग होकर गिर जाते है ।

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 मेले की भीड़ में बच्चा जब तक अपनों का हाथ पकड़कर चलता है उसे मेला बहुत सुंदर और खूबसूरत लगता है, पर वही बच्चा अगर मेले में अपनों से बिछड़ जाये तो वही मेला उसे डरावना लगता है, दुनिया के मेले में हम सबकी स्थिति भी यही है, इसलिए हमेशा अपनो का "साथ" और "हाथ" थामे रखिये... 🏃🏻  चलते रहिऎ.

(आपका सवाई सिंह एसएम सीरीज 3)

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