भारत त्योहारों और मेलों का देश कहा जाता है क्योंकि यहां प्रत्येक दिन उत्सव के रूप में मनाया जाता है अगर मैं बात करूं पूरे विश्व की तो तुलना में तो भारत में सबसे अधिक त्यौहार मनाया जाते हैं प्रत्येक त्यौहार अपने अलग-अलग अवसर से संबंधित है । प्रत्येक त्यौहार में अद्भुत संदेश छुपा होता है फिर चाहे दिवाली हो या होली हो या रक्षाबंधन सबका अपना अलग-अलग महत्व है और अपना एक अलग संदेश। लेकिन आज की इस पोस्ट पर सिर्फ मैं बात होली पर करने जा रहा हूं।
आज पूरा देश होली के रंग में रंगा है होली हमें आपस में भाईचारा और जीवन में खुशियों का रंग खुलती है और आपसी सद्भावना का संदेश देती है वही होलिका दहन हमें अपनी बुराइयों का नाश कर के जीवन में खुशियों के रंग भरने की संदेश देती है और एक दूसरे के प्रति जो भी वैर भाव हैं वह खत्म करके एक नए रिश्ते की शुरुआत करने वाला त्यौहार है।
त्योहार कभी किसी पैसे का मोहताज नही होते ।
खुशियां पैसों की मोहताज नहीं होती कुछ ऐसा ही संदेश देती हमारी नीचे दी गई फोटो यह बात मैं दिल से कह सकता हूं जितना त्योहारों का आनंद हमारे मजदूर भाई-बहन उठाते हैं इतना हम नहीं उठाते लोग कहते हैं कि त्योहारों की रौनक फीकी पड़ गई है उनको बस सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा त्योहारों की रौनक फीकी नहीं पड़ी है लोगों के व्यवहार फीके पड़ गए हैं।
और चलते चलते आज का अनमोल विचार
जितना मन से पवित्र रहोगे उतना ही भगवान् से करीब रहोगे,
क्यूंकि सदैव पवित्रता में ही भगवान का वास होता है !!
जय हिंद जय भारत
आप सभी को रंगो का त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं आपके जीवन में हमेशा खुशियां चाहे रहे ऐसी मंगल कामना है टीम सुगना फाउंडेशन
फैमिली व मित्रों के साथ कुछ पल होली के रंग में
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
S M सीरीज पार्ट 3
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (31-03-2021) को "होली अब हो ली हुई" (चर्चा अंक-4022) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। परन्तु प्रसन्नता की बात यह है कि ब्लॉग अब भी लिखे जा रहे हैं और नये ब्लॉगों का सृजन भी हो रहा है।आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
Bilkul sahi Kaha aapane sir ji Bahut bahut aabhar aapka
जवाब देंहटाएंसुंदर सहज सटीक भावाभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंBahut bahut dhanyvad is pratikriya ke liye
हटाएं