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आपका "आज का आगरा" ब्लॉग पर सवागत है यह ब्लॉग मेरे मम्मी-पापा को समर्पित!..."वन्दे मातरम्" .सवाई सिंह

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रविवार, अगस्त 16

ऐसे में ज़िंदगी बस घुटन भरी हो जाती है और रिश्ता होकर भी नाम का रहता है।

 


 

यही होता है जब रिश्ते में हम होते हैं। रिश्ते में एक ही इंसान कदर, समझ और प्यार का साथ देता है और त्याग करता रहता है मगर दूसरे इंसान को फीलिङ्ग्स की कोई कदर नहीं होती है। दूसरा इंसान फीलिङ्ग्स की परवाह नहीं करता है और अपने  खराब नेचर और व्यवहार के कारण दिल को दर्द और अकेलापन देता है। फिर एक तरफा रिश्ता निभाना , झुकना, सम्झौता करना  सुकून नहीं देता है। ऐसे में ज़िंदगी बस घुटन भरी हो जाती है और रिश्ता होकर भी नाम का रहता है।
यहां लोग अपनी गलती नहीं मानते किसी को अपना कैसे मानेंगे

6 टिप्‍पणियां:

  1. धैर्य से सुलझाई जा सकती हैं उलझने। :)

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (19-08-2020) को    "हिन्दी में भावहीन अंग्रेजी शब्द"  (चर्चा अंक-3798)     पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  3. उत्तम विचार । सराहनीय प्रस्तुति । हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं

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