यही होता है जब रिश्ते में हम होते हैं। रिश्ते में एक ही इंसान कदर, समझ और प्यार का साथ देता है और त्याग करता रहता है मगर दूसरे इंसान को फीलिङ्ग्स की कोई कदर नहीं होती है। दूसरा इंसान फीलिङ्ग्स की परवाह नहीं करता है और अपने खराब नेचर और व्यवहार के कारण दिल को दर्द और अकेलापन देता है। फिर एक तरफा रिश्ता निभाना , झुकना, सम्झौता करना सुकून नहीं देता है। ऐसे में ज़िंदगी बस घुटन भरी हो जाती है और रिश्ता होकर भी नाम का रहता है।
यहां लोग अपनी गलती नहीं मानते किसी को अपना कैसे मानेंगे
धैर्य से सुलझाई जा सकती हैं उलझने। :)
जवाब देंहटाएंउपयोगी आलेख।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (19-08-2020) को "हिन्दी में भावहीन अंग्रेजी शब्द" (चर्चा अंक-3798) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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यथार्थ सृजन ।
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार । सराहनीय प्रस्तुति । हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar post
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