"मजदूर के दो हाथ जो अर्जित कर सकते हैं वह मालिक अपनी पूरी संपत्ति द्वारा भी प्राप्त नहीं कर सकता।"
महात्मा गाँधी |
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सवागत है
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जवाब देंहटाएंsahi kaha hai.
जवाब देंहटाएंmahatma gandhi ji ka ye kathan vastav me hamare jaise desh me sangrahniy hai jahan majdoori kar kitne hi log apna v apne parivar ka pet palte hain aur aaj to majdooron ke bachche is kathan ki satyata ko siddh bhi kar rahe hain.bahut sarthak prastuti.
जवाब देंहटाएंश्रम के गौरव को स्थापित करती पोस्ट.
जवाब देंहटाएंआदरणीय शालिनी कौशिक जी "महात्मा गाँधी जी का ये कथन वास्तव मे हमारे जैसे देश मे संग्रहनीय है जहाँ मज़दूरी कर कितने ही लोग अपना व अपने परिवार का पेट पलते हैं और आज तो मजदूरों के बच्चे इस कथन की सत्यता को सिद्ध भी कर रहे हैं!"
जवाब देंहटाएंआप ने एक दम सही बात कही है!
sochne wale baat hai
जवाब देंहटाएंगाँधी जी का एक कथन मुझे भी याद आ रहा है जिसमे उन्होंने कहा था "मैं यन्त्र का विरोधी नहीं हूँ पर मैं तब उसका विरोध करता हूँ जब वह हमारा स्वामी बन जाता है."
जवाब देंहटाएंआदरणीय शालिनी कौशिकजी,मेरी हर पोस्ट में आने के लिए आपका तहे दिल से शुक्र गुजार हु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजेश कुमारी जी,मेरी हर पोस्ट में आने के लिए आपका तहे दिल से शुक्र गुजार हु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्री भूषणजी,मेरी हर पोस्ट में आने के लिए आपका तहे दिल से शुक्र गुजार हु धन्यवाद
आदरणीय रेखा जी हर पोस्ट पर समय समय पर विजित के लिए आपका तहे दिल से शुक्र गुजार हु धन्यवाद
Sunder baat sawaiji
जवाब देंहटाएंआदरणीय केवल राम जी
जवाब देंहटाएंआदरणीय विधयाजी
प्रिय सोनूजी,
आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!
Arthpoorn Vichar
जवाब देंहटाएंमेहनत की महत्ता को दर्शाता................बापू का सत्य वचन
जवाब देंहटाएं"मजदूर के दो हाथ जो अर्जित कर सकते हैं." पर प्रतिक्रिया देने के लियेआप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।
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