सुबह आँख खुलते ही अपने आप से
पूछिए
सुखीराम बनना चाहते हो,
या
दुखीराम बनना चाहते हो!
मन जैसे ही
जवाब दे सुखीराम, तो एक पल भी व्यर्थ मत जाने दीजिए!
हँसिए और खुद को सुखीराम बना लीजिए!
संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी
सवाई सिंह राजपुरोहित (आगरा)
{सदस्य}
{सदस्य}
सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर
www.rajpurohitsamaj-s.blogspot.in
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बहुत प्रेरक..
जवाब देंहटाएंAabhar aapka
जवाब देंहटाएंसुंदर बात कही.....
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंVery inspiring.
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आकार अपनी राय और प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं उम्मीद है आप हमेशा ही उत्साहवर्धन करते रहेंगे आपका बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंसुंदर बात कही/शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आकार अपनी राय और प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं उम्मीद है आप हमेशा ही उत्साहवर्धन करते रहेंगे आपका बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंankitanjali.sharma9 ●●●●●●●●●●
जवाब देंहटाएंankitsharma2096 ●●●●●●●●●●●
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