जिसमें सत्य को सत्य एवं असत्य को असत्य कहने का साहस हो, जो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्यहित में विश्वास रखता हो, जो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न हो, जो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्त करना चाहिये!!
चाणक्य नीति
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जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं!
सर्वजन हिताय और सुन्दर उक्ति !
जवाब देंहटाएंब्लॉग से आपके प्रेम और स्नेह के लिए आभारी हूँ
हटाएंguru dhoodh pana ......wah bhi aj ke yug me....bahut kathin hai dagar panghat ki.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सन्देश समाज को संवारने कि दिशा में -जय श्री राधे
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बहुत बढ़िया..........................
जवाब देंहटाएंवाकई प्रतिदिन आने की सुंदर वजह है इस ब्लॉग में...
शुक्रिया.
Hi sawai bahut sundar sandesh
जवाब देंहटाएंgopal rajpurohit
उन्नत समाज के लिये यह कीमती धरोहर है, हर युग में , हर काल में सत्य सदा सय्त रहेगा.
जवाब देंहटाएंकृपया सत्य रहेगा पढ़ें
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar post sawaiji
जवाब देंहटाएं:-);-)B-)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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