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आपका "आज का आगरा" ब्लॉग पर सवागत है यह ब्लॉग मेरे मम्मी-पापा को समर्पित!..."वन्दे मातरम्" .सवाई सिंह

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बुधवार, अक्टूबर 23

माता पिता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म होता है.

अगर हर लड़की अपने सास को अपनी माँ समझें और हर सास अपनी बहू को बेटी समझे तो परिवार मैं कभी कोई लड़ाई झगड़े नही होंगे और हमें अपने माता पिता का आदर हमेशा करना चाहिये। 

 सभी बहू और सांसों को समझना चाहिए आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए एक दूसरे की मदद करनी चाहिए मदद करने से ही भगवान घर में विराजमान रहते हैं और सभी दुखों का निवारण भी हो जाता है कष्ट मिट जाते हैं ऐसा नहीं कि सास को बहू गाली दे से बाहर निकाले घर से पहले सबसे पहले खाना सास को ही देना चाहिए क्योंकि अपने पति को उसी ने जन्म देकर के पाला पोसा करके अपने हवाले करते हैं तो उसका यह अदा यह नहीं कि उसका अनादर करें माता पिता ही भगवान होते हैं और माता पिता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म होता है और कर्म जैसे कर्म करोगे वैसा ही तो आपको फल मिलेगा माता पिता से बड़ा और कोई धरती पर धरती पर नहीं है। 

इसलिए मैं आप सभी से निवेदन करना चाहूंगा कि आप सभी अपने माता-पिता और सास ससुर की सेवा अवश्य करें क्योंकि माता-पिता की सेवा करने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं 

मंगलवार, अक्टूबर 22

हम जितना सोचते हैं, उतना अगर काम करने लग जाए तो ...

 आज का सुविचार

आज के टाइम में सब लोग सपने बहुत देखते हैं लेकिन उन सपनों को प्राप्त करने के लिए कार्य कोई नहीं करना चाहता हालांकि सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है क्योंकि सपने देखेंगे तभी हम उन्हें पूरा करने की कोशिश करेंगे लेकिन कुछ लोग सपने देखे तो हैं लेकिन प्राप्त करने के लिए कोई प्रयास नहीं करते चाहे उन्हें कोई कितनी बार भी समझ ले जो आपके अपने होंगे वह आपको एक - दो बार तो जरुर समझाएंगे फिर उनको भी लगने लगेगा कि शायद आप कुछ करना नहीं चाहते तो वह भी थक हार कर यह प्रयास करना छोड़ देते हैं।

  सोचना इस दुनिया का सबसे फालतू काम है, क्योंकि यह बैठे -ठाले ही हमें दु:खी उदास अकर्मण्य बना जाता है! जब भी आप देखें कि आप कुछ सोचने जा रहे हैं, कोई काम करने लग जाए ! जो काम आप करेंगे उसमें सफलता जरूर मिलेगी याद रखें कि कर्म ही धर्म है! अपने धर्म का पालन करें, सोचने से बचे और कर्मठ बने ! आनंद और सफलताएं आप पर चारों दिशाओं से बरसने लगेगी। 

गुरुवार, अक्टूबर 10

देश के जाने माने उद्योगपति श्री रतन टाटा जी को सादर श्रद्धांजलि

 भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन टाटा जी के निधन का अत्यंत दुखद समाचार प्राप्त हुआजानकर बहुत दुख हुआ उन्होंने देश की औद्योगिक प्रगति और सामाजिक विकास के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उनका दृष्टिकोण, समर्पण और व्यावसायिक कुशलता न केवल टाटा समूह को नई ऊँचाइयों तक ले गई, बल्कि भारत के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।

उन्होंने रोजगार सृजन, समाज के सशक्तिकरण और नवाचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में हुआ था। भारत के दिग्‍गज उद्योगपति रतन टाटा पिछले कुछ दिनों से वो बीमार चल रहे थे। उनका निधन बुधवार देर शाम मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में हो गया।

 परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करते है कि आदरणीय श्री रतन टाटा जी की पुण्य आत्मा को ईश्वर अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोक-संतप्त परिवार को ईश्वर धैर्य प्रदान करें। ॐ शान्ति शान्ति शान्ति 💐 सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता है 💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻 🙏 टीम सुगना फाउंडेशन और राजपुरोहित समाज इंडिया

चलते-चलते कुछ अनमोल विचार आदरणीय श्री रतन टाटा जी 

श्री रतन टाटा एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में उद्यमिता और मानवीय मूल्यों की एक नई परिभाषा स्थापित की है। उनके विचार हमेशा प्रेरणादायक रहे हैं और युवाओं के लिए एक आदर्श हैं।

कड़ी मेहनत और लगन: रतन टाटा का मानना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। कड़ी मेहनत और लगन ही सफलता का मूल मंत्र है।

 नवाचार: वे हमेशा नए विचारों और तकनीकों को अपनाने के पक्ष में रहे हैं।

  मानवीय मूल्य: रतन टाटा के लिए मानवीय मूल्य सबसे महत्वपूर्ण हैं। वे हमेशा समाज के विकास के लिए काम करते रहे हैं।

  सकारात्मक सोच: मुश्किल परिस्थितियों में भी रतन टाटा सकारात्मक सोच रखते हैं।

  दूसरों की मदद: वे हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। 

शनिवार, अक्टूबर 5

एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब है नवदुर्गा के नौ स्वरूप

सबसे पहले तो आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं माता रानी आप सभी के मनोकामनाओं को पूर्ण करें ऐसी मंगल कामनाएं

 नवदुर्गा के नौ रूपों में स्त्री जीवन का पूर्ण बिम्ब का स्वरूप है आईए जानते हैं नौ देवियों की अपनी विशेषताएं 

1 जन्म ग्रहण करती हुई कन्या "शैलपुत्री" स्वरूप है।

2 कौमार्य अवस्था तक "ब्रह्मचारिणी" का रूप है।

3 विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह "चंद्रघंटा" समान है।

4 नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह "कूष्मांडा" स्वरूप में है।

5 संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री "स्कन्दमाता" हो जाती है।

6 संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री "कात्यायनी" रूप है।

7 अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह "कालरात्रि" जैसी है।

8 संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से "महागौरी" हो जाती है।

9 धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार में अपनी संतान को सिद्धि (समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली "सिद्धिदात्री" हो जाती है।

 ⚜•━━━॥#सुविचार॥━━━•⚜

खुद को बदलने का आसान तरीका है 
"स्वीकारना"
जिस समय हम गलतियों को स्वीकार लेते हैं
उसी समय "परिवर्तन" प्रारम्भ हो जाता है।

               

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