शुक्रवार, दिसंबर 16

"रिश्ते" आज-कल कहने के लिए सब अपने हैं।

आज-कल कहने के लिए सब अपने हैं।

सिर्फ अपनों के होने से कुछ नहीं होता बल्कि उन अपनों में अपनेपन का एहसास भी होना बहुत जरूरी है आजकल हम लोग रिश्ते इस तरीके से बनाते हैं जब तक काम हो उनका उसके बाद वह आपको छोड़ कर चले जाते हैं जीवन में अधिकतम हमने ऐसा ही देखा है शायद ऐसा मेरे साथ हुआ है ओर शायद आपके साथ भी हुआ होगा। हम लोग जिंदगी में सिर्फ एक ही गलती करते हैं और वह है भरोसा हम सस्ते लोगों पर भरोसा कर बैठते हैं जिस प्रकार हम कपड़े ब्रांडेड पहनते हैं ना उसी प्रकार रिश्ते भी ब्रांडेड ही बनाई है उनकी टिकने की गुंजाइश ज्यादा होगी।

"चाहना आसान है पर चाहते रहना कठिन है।"

अकेलेपन का डर उसी को होगा जो कभी अकेला नहीं रहा होगा । जनाब उनको हम बता देना चाहते हैं कि मेरी एक चौथाई जिंदगी अकेलेपन में ही निकल गए। अब तो हमें किसी के साथ से डर लगता है अकेलेपन से नहीं। मेरा मानना है कि रोज-रोज किसी चीज के लिए अपने आपको परेशान करने से अच्छा है कुछ दिन उस चीज के लिए परेशान हो जाए ताकि बाद में हम उसे भूल सके। हमारी जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हमारे प्रिय हमें छोड़ कर चले जाते हैं और हम उनका शौक बनाते हैं हालांकि ऐसा करना थोड़ा कठिन जरूर होता है पर नामुमकिन नहीं आप ट्राई करिए ऐसा जरूर कर पाएंगे । 
आज के लिए इतना ही फिर मिलता हूं रिश्ते की अगली कड़ी के साथ... 

और चलते चलते आज का अनमोल विचार 

सच सूरज की तरह है.

आप उस पर कुछ देर के लिए पर्दा डाल सकते हैं

पर वह कहीं जाने वाला नहीं ।

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अपनी दो ही चीजें है,  एक ईश्वर,  दूसरा हमारा कर्म !!

अगर विश्वास नहीं है तो आजमा के देख लो !

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अगर आप सच बोलते हैं

तो आपको कुछ याद रखने की

ज़रुरत नहीं रहती ।

आपका सवाई सिंह राजपुरोहित एस.एम सीरीज 3 से


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