1, इंसान रोता हुआ भले ही पैदा हो, पर जीवन की धन्यता इसी में हैं कि वह हँसता हुआ धरती से जाए। हम हँसे और दुनिया रोए, यह कबीर की वाणी हैं। हम रोएँ और दुनिया हँसे यह जीते-जी मरने के समान हैं।
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2, दिन मे कम-से-कम तीन बार खुलकर हँसिए। दिन में दस बार उन्मुक्त हँसी हँसने वाले जिंदगी में कभी डिप्रेशन और हार्ट-अटैक के शिकार नहीं हो सकते।
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3, एक मिनट तक खुलकर हँसने से दिमाग की हर कोशिका का व्यायाम हो जाता हैं, वाणी में मिठास घुल जाती हैं और व्यवहार में मोहब्बत।
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4, बिना किसी वजह के हँसना साहस का काम हैं, जबकि बिना वजह के रोना बेवकूफी का। अगर आप क्रोध, चिंता या तनाव से परेशान हैं तो हँसना शुरू कीजिए। प्रकाश जितना बटोरेंगे अंधेरा उतना ही दूर होता जाएगा।
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5, क्रोध, चिंता और ईष्र्या हमारी नैसर्गिक हँसी के शत्रु हैं। हर विपरीत बात को धैर्य और सहजता से लीजिए। शत्रुघ्न होकर ही आप सफलता की इबारत लिख सकते हैं।
साभार- संबोधि टाइम्स,
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सवाई सिंह राजपुरोहित (आगरा)
मीडिया प्रभारी
सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर
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