गुरुवार, जून 7

कोई हस के मरा, कोई रो के मरा, जिन्दगी मगर पाई उसने, जो कुछ हो के मरा |

अमृत सन्देश  

 चित्र armaanokidoli.blogspot.in
जिसका अहंकार चला गया हो वह व्यक्ति किसी को भी खुश कर सकता है|
कर्ज ऐसा मेहमान है जो एक बार आने के पश्चात जाने का नाम नही लेता है |
"इतना ही लो थाली में ,की व्यर्थ न जावे नाली में "|
आदमी का अहम् कई बार उसका सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है|
जब आप किसी पर एक अंगुली उठाते है ,तो तीन अंगुलिया आपकी तरफ उठती है|
कोई हस के मरा, कोई रो के मरा, जिन्दगी मगर पाई उसने, जो कुछ हो के मरा |

ये अमृत सन्देश प्रिय दिनेश सिंह राजपुरोहित जी ने भेजे है! 

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21 टिप्‍पणियां:

  1. इतना ही लो थाली में ,की व्यर्थ न जावे नाली में"
    वाह ...

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    1. आपके स्नेह के लिए आभार साथ ही प्रतिक्रिया हेतु ....

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  2. आदमी का अहम् कई बार उसका सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है|
    जब आप किसी पर एक अंगुली उठाते है ,तो तीन अंगुलिया आपकी तरफ उठती है|
    कोई हस के मरा, कोई रो के मरा, जिन्दगी मगर पाई उसने, जो कुछ हो के मरा |

    एक दम सही बात कही है

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  3. कोई हंस के मरा कोई रो के मरा जिंदगी मगर पाई उसने जो कुछ हो के मरा
    बहुत सुन्दर भाव लिए पंक्तियाँ |
    आशा

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    1. आशाजी..आपके स्नेह के लिए आभार साथ ही प्रतिक्रिया हेतु ...

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  4. "इतना ही लो थाली में ,की व्यर्थ न जावे नाली में "|...बहुत सुन्दर...

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    1. आपके स्नेह के लिए आभार साथ ही प्रतिक्रिया हेतु ...

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  5. बहुत उपयोगी बातें !

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    1. आपके स्नेह के लिए आभार साथ ही प्रतिक्रिया हेतु ...

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  6. उत्तर
    1. आपके स्नेह के लिए आभार साथ ही प्रतिक्रिया हेतु ...

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  7. बहुत सार्थक संदेश...

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    1. आपके स्नेह के लिए आभार साथ ही प्रतिक्रिया हेतु ...

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    1. आपके स्नेह के लिए आभार साथ ही प्रतिक्रिया हेतु ......

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    2. आपके स्नेह के लिए आभार

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  9. बहुत ही बढ़िया और सार्थक
    सन्देश:-)

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  11. कोई हस के मरा, कोई रो के मरा, जिन्दगी मगर पाई उसने, जो कुछ हो के मरा |

    सुन्दर

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