गुरुवार, अगस्त 4

घृणा पाप से करो पापी से नहीं"


"घृणा पाप से करो पापी से नहीं"
                       महात्मा गाँधी 
      
"घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं"
                             कहावत 

5 टिप्‍पणियां:

  1. "घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं"
    इन दोनों गुणों का जब आधिक्य होता है तभी अंधापन हावी होता है.शायद वह प्रेम नहीं होता, हवश होती है.

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  2. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  3. बहुत खूब और बिल्कुल सटीक लिखा है है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. आप सब का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी!!हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!

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