आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार आदरणीय रेखा जी, आदरणीय राजेश कुमारीजी, आदरणीय डॉ॰ मोनिका शर्माजी, आदरणीय शालिनी कौशिकजी, आदरणीय श्री कैलाश सी शर्माजी, आदरणीय श्री कुंवर कुसूमेशजी, आदरणीय श्री राकेश कुमारजी, आदरणीय श्री भूषणजी, प्रिय चैतन्य शर्मजी, आदरणीय श्री एस पि सिंह, प्रिय सोनूजी, प्रिय कुलदीपजी, प्रिय योगेन्द्रजी, आदरणीय श्री राजेश करवालजी, आप सभी की शुभकामनाये मेरी छोटी बहन के साथ है और आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! धन्यवाद ************ चिंता वहां तक तो वांछनीय है जहाँ तक वह रचनात्मक ध्येय की पूर्ति के लिए विविध उपायों का मनन करने तक सीमित हो, परन्तु जब चिंता इतनी बढ़ जाये कि वह शरीर को खाने लगे तो वह अवांछनीय हो जाती है क्योंकि फिर तो वह अपने ध्येय को ही हरा बैठती है! महात्मा गाँधी |
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तब चिंता चिता के कतीब ले जाती है मनुश्य को !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी
जवाब देंहटाएंआपका मेरे पोस्ट पर आने और टिप्पणी करने के लिए और आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और शुक्रिया और आपका सहयोग
एवं स्नेह का सदैव आकांक्षी रहूँगा….. धन्यवाद. सवाई
कहते हैं चिंता, चिता के ही समान होती है
जवाब देंहटाएंसच है हमें अधिक चिंता करने के बजाय पुरे आत्मविश्वास और लगन से कर्म करते रहना चाहिए
जवाब देंहटाएंचिंता करने की अपेक्षा कर्म में लगे रहना श्रेयस्कर है.
जवाब देंहटाएंsach kaha hai -chita to hari nam ki aur n chinta das ..........bahut sateek prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंSunder baat ...Shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंbahut bada sach chipa hai is kathan me m.gandhi ji ka bahut sunder updesh.post karne ke liye thanks.
जवाब देंहटाएंआदरणीय राकेश कौशिक जी
जवाब देंहटाएंआदरणीय भूषण जी
चैतन्य शर्माजी
मेरे पोस्ट पर आने और टिप्पणी करने के लिए आपका आभार
आदरणीय शिखा कौशिक जी
जवाब देंहटाएंआदरणीय रेखा जी
आदरणीय विद्या जी
आदरणीय राजेश कुमारी जी
मेरे पोस्ट पर आने और टिप्पणी करने के लिए आपका आभार
pehla sukh nirogi kaaya. kaaya nirogi hai to
जवाब देंहटाएंsab sadhya hai. chinta aur nirogi kaaya ki dosti
nahin hoti.