ब्रह्मवतार संत श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज का संक्षिप परिचय
ब्रह्मवतार संत श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज
“राजपुरोहित समाज के सूरज”
संत श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज
श्री खेतेश्वर महाराज का संक्षिप परिचय महर्षि "उलक" के गौत्र प्रवर्तक'' उदेश'' कुल में आवरण भारतीय इतिहास में ऐसे अगिणत जीवन भरे पडे हैं। जिनकेसम्मुख आदि शक्ति ने अपनी सम्पूर्ण शक्ति से भरपूर दिव्य तथा तेजस्वी आत्माओंका आवतर्ण आद्यात्मिक पवित्र भूमि गौरव से अभिमण्डित रत्न गर्भा भारत भूमि आदिअलंकारों से जडित व पवित्र भूमि पर होता रहा हैं। परमेश्वर की चमत्कारिक दैविकशक्ति तथा पवित्र तेजस्वी आत्माओं का आवरण होने का श्रेय भारत भूमि को अनेकोबार मिलता रहा हैं। संदर्भ में यहा की संस्कृति आज भी पुकार रही हैं। इतना हीनही समय-समय पर हमारे समाज को सुसंस्कृति, पवित्र और प्रेममय बनाने की अद्भुतक्षमता तथा सामर्थ रखने वाली आदि-शक्ति के प्रकाश-पुंज प्रतिनिधयों के रुप मेंआवतरित हुए हैं।
समाज में जिन्हौने निराशमय जीवन को आशामय बनाया, नास्तिक व्यक्तियों मेंपवित्र आस्तिकता का ज्ञान कराया, अन्धकारमय जीवन में ज्योति जगाकर प्रकाशितकिया । पावन धरती दिव्य आत्माओं से कभी रिक्त नही रही। इन्हीं पवित्र आत्माओंमें से एक थे युग प्रेरक श्री श्री 1008 खेतेश्वर महाराज जिनकी अद्भभुतचमत्कारी दैविकशक्ति, सामाजिक चैतन्य शक्ति, ब्रह्म की साकार शक्ति, ब्रह्मआनन्द का साकार दर्शन जीवन दान की अद्भुत जीवन संजीवनी शक्ति आदि असीम शक्तियोंको संजोग स्वरुप राजपुरोहित समाज में गौतम वंशीय महर्षि उलक की गौत्र प्रवर्तकवंशावली के 'उदेश' कुल में अवतरण हुआ। श्री खेतेश्वर महाराज ने जाति धर्म सेउपर उठकर प्रत्येक वर्ग में स्नेह के पुजारी रहे। संदर्भ में आज भी उनके प्रतिसभी संप्रदायो के संतो, महन्तो व जन साधारण आदि की अटूट आस्था देखने को मिलतीहै। दिनों के प्रति अति व्याकुलता एंव जन साधारण के प्रति उनके जीवन का मुख्यगुण सामने आता हैं।
राजस्थान के बाडमेर जिले में शहर बालोतरा से लगभग दस किलोमीटर दूर गढ सिवाडारोड पर दिनांक 20 अप्रेल 1961 को गांव आसोतरा के पास वर्तमान ब्रह्म धामआसोतरा के ब्रह्म मन्दिर की नीव दिन को ठीक 12 बजे अपने कर कमलो से रखी। जिसकाशुभ मुहूत स्वंम आधारित था। ब्रह्म की प्रतिमा के स्नान का पवित्र जल भूमि केउपर नही बिखरे जिसके संदर्भ में उन्होने प्रतिमा से पाताल तक जल विर्सजन केलिए स्वंयं की तकनिक से लम्बी पाईप लाईन लगावाई। 23 वर्ष तक चलेनिर्वहन इस मन्दिर निमार्ण में राजस्थान की सूर्य नगरी जोधपुर के छीतर पत्थर कोतलाश कर स्वंयं के कठोर परिश्रम से बिना किसी नक्शा तथा नक्शानवेश के 44 खम्भोंपर आधारित दो विशाल गुम्बजों के प if'Pkeमें एक विशालकाय शिखर गुम्बज तथाउत्तर-दक्षिण में पांच-पांच, कुल दस छोटी गुम्बज नुमा शिखाएं, हाथ की सुन्दरकारीगरी की अनेक कला कृतियां जिनकी तलाश की सफाई व अनोखे आकारो में मंडितप्रतिमायें जिसमें महर्षि वशिष्ठ, महर्षि कश्यप, महर्षि गौतम, महर्षि पराशरऔरमहर्षि भारद्वाज सहित विभिन्न वैदिक ऋषियों की प्रतिमाओ से जुडा पवित्र व शान्तवातावरण इस विशाल काय ब्रह्म मन्दिर के एक दृढ संकंल्पी चिरतामृत का समर्पणदर्शनार्थी को आकिर्षत किए बिना नही रहता। ब्रम्हाधाम आसोतरा के ब्रह्म मन्दिरका निर्माण कार्य पूर्णकर श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज ने दिनांक 6 मई, 1984 (विक्रम सम्वत 2041 वैशाख सुदी पंचम रविवार) कोसृष्टि रचता जगत पिता भगवान ब्रम्हाजी की भव्य मूर्ती को अपने कर कमलो से विधिवत प्रतिष्ठत किया। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दिन महाशान्ति यज्ञादिकार्यक्रम करवाये गये। इसी पुनीत अवसर पर लगभग ढाई हजार से भी ज्यादा संतमहात्माओं ने भाग लिया। तथा लगभग 3 लाख से भी ज्यादा श्रद्वालु भक्तजनों नेइस विराट पर्व का दर्शन लाभ उठाकर भोजन प्रसाद ग्रहण किया भोजन प्रसादकार्यक्रम तो उस दिन से नि:शुल्क चालु हैं। तथा भविष्य में भी देता रहेगा। ऐसेनियम(विग्न) की घोषणा का स्वरुप युग प्रेरक श्री 1008 खेतेश्वर महाराज ने ही बनाया था। जो आज भी पूर्ण रुप से चल रहा हैं। आम बस्ती सेमीलों दुर जंगल की सन-सत्राजी हवाओं तथा मखमली रेत के गुलाबी टीबों के बीचप्रतिष्ठा दिवस की वह मनमोहनी रात्री का समय क्रित्रम बिजली की जग मगाहट कोफूदक-फूदक कर नृत्य करती रोशनी से ऐसे सलग रही थी जैसे धरती पर देव राज्यस्वर्ग उतर आया हों। प्रात:काल की सुन्दरीयां भोंर में पक्षियों की चहचहाट कीमधुर वाद्य वेला दर्शनार्थीं श्रद्वालुओं के हदय कमलों को मन्त्र मुग्ध सा करदेती हैं। श्री खेतेश्वर महाराज ने प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन 7 मई1984 (विक्रम सम्वत 2041 वैशाख 6सुदी)को लाखों दर्शनार्थियों के बीच मूर्ति प्रतिष्ठा के 24 घन्टे पशचात दिन कोठीक 12:36 बजे साधारण जन के लिए एक प्रकार से वज्रपात सा लगा।
अब श्री खेतेश्वर सृष्टि कर्ता ब्रम्हाजी के सम्मुख जगत कल्याण की मंगल कामनाकरते हुए अपना अवलोकिक नश्वर शरीर त्याग कर ब्र्ह्मलीन हो गए। आदि शिक्त केविधान की विडम्बना इस विलक्षण्यी दृश्य से वहा उपस्थित श्रद्वालु भाव विभोरहोकर श्री खेतेश्वर भगवान की जय जयकार के उद्घोषों से आकाशीय वातावरण कोगूंजायमान करने लगे। तत्पशचात उनका पवित्र नाश्वान शरीर सनातन धर्म की हिन्दुसंस्क्रति के अनुसार तीर तलवार, भालो, ढालो, की सुरक्षा तथा साष्टांग प्रमाणनौपत व नंगारों व मृदंगन के साथ मोक्ष प्रिप्त राम नाम धून से सारा वातावरण एकमसिणए वैराग्य का स्वरुप धारण करके अग्नि को समर्पित किया गया। चन्दन, काष्ठ, श्रीफल, नरियल, तथा घृत आदि की अन्तिम संस्कारिक आहुतिया के मंन्त्रों सेवैराग्य वातावरण ने तत्वों से जुड़ित देहिक पुतले को अग्नि में, जल में, वायुमें, आकाश में व पृथ्वी में पृथक-पृथकविलय का वोध कराया। जो एक ईश्वरीय शक्तिस्वरुप पवित्र आत्मा विश्व शान्ति की साधना में अमृत को प्राप्त हुई। ऐसी महानआत्मा को सत् सत् वन्दन! प्रित वर्ष युग प्रेरक श्री 1008 खेतेश्वर महाराज की पुण्यतिथी ब्रहाधाम आसोतरा में विशाल समारोह पूर्वक मनाई जाती हैं। वैशाख शुक्लाछठवी को ब्रम्ह धाम पर हर जाति, सम्प्रदाय तथा वर्ग के लोग हजारो की संख्या मेंआकर उनकी बैकुठ धाम समाधि पर पुंष्पांजंली अर्पित करते हैं। श्रद्वालु ऐसा करकेअपने को धन्य सा समझते हैं। दो तीन दिन का यह 'आध्यात्मिक मेला' प्रत्येक जातितथा वर्ग को अनादिकाल की संस्क्रति की प्रतिमाओ को बटोरे वर्तमान युग निर्माणकी प्रेरणाओं से ओत-प्रोत दर्शन कराता है।
इस सम्पुर्ण कार्यक्रम का संचालन भारतीय संस्क्रति की एतिहासिक जाति का वर्गश्री राजपुरोहित समाज एक 'न्यास' रुपी संस्था द्वारा कराता है। राजपुरोहित समाजके भारतिय संस्क्रति के अन्तर्गत महत्पूर्ण योगदान के प्रित जगत स्वामीविवेकानन्दजी ने लिखा है-भारत के पुरोहितों को महान बोद्विक और मानसिक शक्तिप्राप्त थी। भारत वर्ष की आद्यत्मिक उन्न्ति का प्रारम्भ करने वाले वे ही थे औरउन्हौने आश्चर्यजनक कार्य भी संपन किया। वर्तमान में इस आश्चर्य जनक दर्शन काजीता जागता दर्शन ब्रह्म धाम आसोतरा हैं। जहॉं ब्रह्म सावित्री को संग-संगविराजमान करके ब्रम्हाजी के परिवार की प्रतिमाए प्रतिष्ठ की गयी। जिनके आपस केश्रापो का विधान तोडकर फिर से नए प्रेरणा का मार्ग दर्शन कराया । जिनको वर्तमानमें हम कोटि-कोटि शत वन्दन् करते।
श्री खेतेश्वर महाराज जी का परिचय देने के लिए आभार। आपको सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवक होने का पुरस्कार मिला , इसके लिए बहुत प्रसन्नता है । आपको बधाई एवं शुभकामनाएं।
प्रिये सवाई सिंह जी आप"सर्वश्रेष्ठ स्वयं सेवक" का प्रमाण प्रत्र की फोटो कोपी हमारी संस्थन को भजे ताकि आपका नाम इस साल होने वाले कार्यक्रम में लिखा जा सके
श्री खेतेश्वर महाराज जी का परिचय देने के लिए आभार। आपको सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवक होने का पुरस्कार मिला , इसके लिए बहुत प्रसन्नता है । आपको बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ.दिव्या श्रीवास्तवजी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मिलता रहेगा!
सर्वप्रथम आपको सर्वश्रेष्ठ स्वयं सेवक का खिताब मिला इसके लिए बधाई एवं शुभकामनाएं स्वीकार करें!
जवाब देंहटाएंप्रिये सवाई सिंह जी आप"सर्वश्रेष्ठ स्वयं सेवक" का प्रमाण प्रत्र की फोटो कोपी हमारी संस्थन को भजे ताकि आपका नाम इस साल होने वाले कार्यक्रम में लिखा जा सके
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सचिव
संत श्री श्री1008 श्री खेतेश्वर महाराज जी का परिचय देने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंश्री खेतेश्वर महाराज जी का परिचय देने के लिए आभार.......
जवाब देंहटाएंश्री खेतेश्वर महाराज जी का परिचय देने के लिए आभार.......
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका
जवाब देंहटाएंश्री खेतेश्वर महाराज जी का परिचय देने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएं[co="red"]आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ [/co]
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