बुधवार, नवंबर 19

महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम

आज 19 नवंबर को महान वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती भी है। ऐसे पावन अवसर पर देश की इस महान बेटी को नमन करना हम सभी के लिए गर्व की बात है। जिन्होंने अंग्रेजों से मरते दम तक मुकाबला करती रही

अमर बलिदान
​"सिर्फ इतिहास के पन्नों में नहीं,
हर भारतीय के दिल में आपका नाम है।
देश के लिए मर मिटने वाली रानी,
आपको हमारा नमन है।"

महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का वर्णन सुभद्रा कुमारी चौहान की इन पंक्तियों के बिना अधूरा है।

​"सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी।
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
​चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी!"

गुरुवार, नवंबर 13

Vahi sacche Mitra Hai Baki Sab Moh Maya Hai

 जेल के गेट पर, हॉस्पिटल के बेड पर और मुकदमे पर पेशी में साथ मिलते है वो ही मित्र है बाक़ी सब मोहमाया है!



बुधवार, नवंबर 12

Ladkon ko Paisa hi Sab Kuchh Dila sakta hai

 लड़कों को पैसा ही सब कुछ दिला सकता है,
 इज़्ज़त प्यार सुंदरता और अपनी बात रखने का हक!

जब किसी की संगत से आपके विचार शुद्ध होने लगे तो समझ लीजिए कि वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है..!

SM series 4 by Sawai Singh 


मंगलवार, नवंबर 11

Dhokha Dene Wale sochte Hai...

 धोखा देने वाले सोचते हैं कि उन्होंने चालाकी की 
पर असल में उन्होंने खुद के लिए 
भरोसे का दरवाजा बंद कर लिया ।



शुक्रवार, अक्टूबर 17

तुम जैसे हो, वैसे ही अनमोल हो।

तुम जैसे हो, वैसे ही अनमोल हो।
दुनिया कुछ भी कहे,
अपने वजूद और अपने सामान को कभी मत खोना।
हालात कितनी भी मुश्किल क्यों न हो,
अपनी पहचान, अपनी प्रतिभा और अपने संस्कार को जिंदा दिखाना।
क्योंकि जो खुद पर अडिग रहता है,उसे कोई भी स्थिति हरा नहीं सकती।
जिज्ञासा राजपुरोहित को कृषि विज्ञान में उत्कर्ष प्रदर्शन के लिए गुरुदेव ने किया सम्मानित


मंगलवार, अक्टूबर 7

Har samasya ka toll free number hai pitaji

 परिस्थितियां जितनी ज्यादा आपको तोड़ती है, 

उससे कहीं ज्यादा आपको मजबूत बना देती है...!!



सोमवार, अक्टूबर 6

भगवान शिव जी के 108 मन्त्र Bhagwan Shiv ke 108 Mantra

(1)ऊँ स्थिराय नम:
(2)ऊँ स्थाणवे नम:
(3)ऊँ प्रभवे नम:
(4)ऊँ भीमाय नम:
(5)ऊँ प्रवराय नम:
(6)ऊँ वरदाय नम:
(7)ऊँ वराय नम:
(8)ऊँ सर्वात्मने नम:
(9)ऊँ सर्वविख्याताय नम:
(10)ऊँ सर्वस्मै नम:
(11)ऊँ भवाय नम:
(12)ऊँ जटिने नम:
(13)ऊँ चर्मिणे नम:
(14)ऊँ शिखण्डिने नम:
(15)ऊँ उवांगाय नम:
(16)ऊँ हराय नम:
(17)ऊँ हरिणाक्षाय नम:
(18)ऊँ सर्वभूतहराय नम:
(19)ऊँ नियताय नम:
(20)ऊँ शाश्वताय नम:
(21)ऊँ ध्रुवाय नम:
(22)ऊँ श्मशानवासिने नम:
(23)ऊँ भगवते नम:
(24)ऊँ खेचराय नम:
(25)ऊँ गोचराय नम:
(26)ऊँ अर्दनाय नम:
(27)ऊँ अभिवाद्याय नम:
(28)ऊँ महाकर्मणे नम:
(29)ऊँ तपस्विने नम:
(30)ऊँ भूतभावनाय नम:
(31)ऊँ महारुपाय नम:
(32)ऊँ वृषरुपाय नम:
(33)ऊँ महायशसे नम:
(34)ऊँ महात्मने नम:
(35)ऊँ सर्वभूतात्मने नम:
(36)ऊँ विश्वरुपाय नम:
(37)ऊँ लोकपालाय नम:
(38)ऊँ हयगर्दभये नम:
(39)ऊँ पवित्राय नम:
(40)ऊँ आदिकराय नम:
(41)ऊँ चन्द्राय नम:
(42)ऊँ सूर्याय नम:
(43)ऊँ शनये नम:
(44)ऊँ केतवे नम:
(45)ऊँ ग्रहाय नम:
(46)ऊँ बृहस्पतये नम:
(47)ऊँ अत्रये नम:
(48)ऊँ स्वयंश्रेष्ठाय नम:
(49)ऊँ गन्धधारिणे नम:
(50)ऊँ सर्वशुभकराय नम:
(51)ऊँ गणपतये नम:
(52)ऊँ पशुपतये नम:
(53)ऊँ नीलाय नम:
(54)ऊँ निरवग्रहाय नम:
(55)ऊँ कृष्णवर्णाय नम:
(56)ऊँ महामुखाय नम:
(57)ऊँ महाजटाय नम:
(58)ऊँ सुदर्शनाय नम:
(59)ऊँ महामुनये नम:
(60)ऊँ प्रकाशाय नम:
(61)ऊँ प्रियाय नम:
(62)ऊँ पुष्करस्थपतये नम:
(63)ऊँ यज्ञसमाहिताय नम:
(64)ऊँ भूतवाहनसारथये नम:
(65)ऊँ भस्मभूताय नम:
(66)ऊँ विश्वकर्मपतये नम:
(67)ऊँ उग्राय नम:
(68)ऊँ त्रिशुक्लाय नम:
(69)ऊँ अमरेशाय नम:
(70)ऊँ प्रभावाय नम:
(71)ऊँ चन्द्रवक्त्राय नम:
(72)ऊँ महादेवाय नम:
(73)ऊँ त्रिशकंवे नम:
(74)ऊँ विष्णवे नम:
(75)ऊँ कृष्णपिगंलाय नम:
(76)ऊँ सिंहवाहनाय नम:
(77)ऊँ सर्वभूतवाहित्रे नम:
(78)ऊँ भूतपतये नम:
(79)ऊँ नन्दिकराय नम:
(80)ऊँ नन्दिने नम:
(81)ऊँ वैद्याय नम:
(82)ऊँ अमराय नम:
(83)ऊँ नीरजाय नम:
(84)ऊँ त्रिविक्रमाय नम:
(85)ऊँ सेनापतये नम:
(86)ऊँ चीरवाससे नम:
(87)ऊँ त्रिजटाय नम:
(88)ऊँ नम: शिवाय:
(89)ऊँ रुद्राय नम:
(90)ऊँ नीलकंठाय नम:
(91)ऊँ सोमनाथाय नम:
(92)ऊँ कपर्दिने नम:
(93)ऊँ बृषभध्वजाय नम:
(94)ऊँ सुरेशाय नम:
(95)ऊँ सोमेश्वराय नम:
(96)ऊँ व्यालप्रियायै नम:
(97)ऊँ दिगम्बराय नम:
(98)ऊँ उमाकान्ताय नम:
(99)ऊँ ईशाय नम:
(100)ऊँ जगत्प्रतिष्ठाय नम:
(101)ऊँ अन्धकासुरमर्दिने नम:
(102)ऊँ त्रिनेत्राय नम:
(103)ऊँ विश्वनाथाय नम:
(104)ऊँ श्मशानवासिने नम:
(105)ऊँ गौरीपतये नम:
(106)ऊँ पशुपतिनाथाय नम:
(107)ऊँ लिंगाय नम:
(108)ऊँ मृत्युञ्जय नम:



अगर आपकी जाति की जनसंख्या कम हैं।

अगर आपकी जाति की जनसंख्या कम हैं।

 तो उदास मत होना और अधिक हैं तो उत्साहित मत होना, जाती की हकीकत सिर्फ इतनी हैं,

अगर आप अपनी जाति के सफल व्यक्ति हैं तो आपकी जाति आपके पीछे खड़ी हैं और अगर असफल व्यक्ति हैं तो आप अपनी ही जाति में सबसे पीछे खड़े हैं, 

फिर आपको कोई पूछने वाला नहीं हैं.



मंगलवार, जुलाई 8

सही समय पर सही निर्णय लेना भी आवश्यक है।

जीवन में सब कुछ अनुभव करना ही महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि सही समय पर सही निर्णय लेना भी आवश्यक है। रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी, एक अच्छा जूता पहनकर उस पर चला जा सकता है, लेकिन यदि एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ हो तो, एक अच्छी सड़क पर भी कुछ कदम चलना मुश्किल है।

बाहर की चुनोतियों सें नहीं हम अपनी अंदर की कमजोरियों से हारते हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे, तो दूसरा गढ़े। जो मज़ा भाग लेने में है वो मज़ा भाग जाने में कहाँ।

अपने सपनों को पूरा करने के लिए की जान लगे

शनिवार, जून 28

जीवन है एक हार या जीत से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।

आज का सुविचार 
अपने संतानों को उच्च शिक्षण देना ही चाहिए 
किंतु संतानों को सफल होने के साथ साथ 
उन्हें असफल होने पर कैसे खुश रहना हैं 
के साथ उन्हें हारना भी सिखाना चाहिए 
जीवन है एक हार या जीत से 
कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता ।
======■■■■■======

किसी वस्तु व्यक्ति या उसके निजी कार्य के प्रति घृणा, ईर्ष्या द्रेस या जलन का भाव रखना या उसकी उपेक्षा करना एक अज्ञानी व्यक्ति की निशानी है,
 और ऐसी सोच रखने वाला मात्र वह स्वयं अपने आप को दुःखी करता है..!
 यह एक सच्चे जिज्ञासु का गुण कदापि नहीं हो सकता है ! सच्चा जिज्ञासु सदैव प्रसन्न रहता है..!

शुक्रवार, जून 27

हमारे बचपन का भी एक जमाना था यारो और आज ?

खुद ही स्कूल पैदल जाना होता था क्योंकि साइकिल ,बस आदि से बच्चे को स्कूल भेजने का रिवाज ही नहीं था, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे । उस समय किसी बात का डर भी नहीं था, और पूरे गांव के लोग को ये जानते थे कि बच्चा किस का पोता या पुत्र है । खोने का डर था नहीं ।

फर्स्ट, सेकंड ,थर्ड डिवीजन पास या फेल यही हमको मालूम था । पर्सेंटेज % से हमारा कभी भी संबंध नहीं रहा ।

ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको बुद्धि से पैदल समझा जा सकता था ।

किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...

कपड़े की थैली में...बस्तों में और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी।

हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था ।

साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी.*क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम ।

 हमारे माता पिता को ऐसा कभी लगा ही नहीं कि हमारी पढ़ाई बोझ है..

  किसी एक दोस्त को साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी ।*इस तरह हम ना जाने कितना घंटे किलोमीटर घूमे होंगे पता नहीं और किसी को परवाह भी नहीं , सिर्फ चोट लगने खून बहने पर ही मां के पास आना गाली डांट सुनना और कपड़े की पानी में भीगी पट्टी या और कोई इलाज करा कर डरते डरते फिर दोस्तों के साथ खेलने भाग जाना ।

 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा आत्म सम्मान कभी आड़े नहीं आता था । सही बताएं तो आत्मसम्मान क्या होता है यह हमें और किसी को भी मालूम ही नहीं था ।

घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनिक जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी ।

मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे...

मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए ।

 बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के कपड़े धोने वाले पट्टे से कही पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है...

 हमने जेब खर्च कभी भी मांगा ही नहीं और पिताजी ने कभी दिया भी नहीं..

इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार दो चार बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल, गोली टॉफी , इमली, डाँसरे, खट्टा मीठा चूर्ण खा लिया तो बहुत होता था, उसमें भी हम बहुत खुश हो जाते ।...

छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे।जैसे ताऊ ताई ,चाचा चाची काका काकी, दादा दादी , बुआ आदि ..

 दिवाली में लगी पटाखों की लड़ी को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा.

 अपने मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना भी नहीं आता था और भाई लट्ठ डंडे का जमाना था पीटने का भी डर था ।

  स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट में रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है । वह दोस्त कहां खो गए , वह बेर वाली कहां खो गई।वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं.. 

कपड़ों की सलवटें को प्रेस , आयरन , से नहीं मिटते थे बल्कि रात को सोते समय अपने तकिया या अपनी कमरके नीचे रखना ही काफी था । रिश्तों में कोई औपचारिकता नहीं थी।.

सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन में अखबार में लपेट कर रोटी ले जाने का सुख क्या है, आजकल के बच्चों को पता ही नही ...

 हमारा भी एक बचपन और लड़कपन का जमाना था जनाब ।

👉 एक बात तो तय मानिए कि जो भी पूरा पढ़ेगा उसे अपने बीते जीवन के पुराने सुहाने पल अवश्य याद आयेंगे 

Facebook se copy paste


शनिवार, जून 21

योग धर्म नहीं, एक विज्ञान है

योग धर्म नहीं, एक विज्ञान है

 मानव कल्याण का विज्ञान, यौवन का विज्ञान, शरीर मन और आत्मा को जोड़ने का विज्ञान है! 

करो योग, रहो सदैव निरोग। साथ ही "योग से बड़ा कोई ऐश्वर्य नहीं, योग से बड़ी सफलता नहीं, योग से बड़ी कोई उपलब्धि नहीं।"

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं...सवाई सिंह राजपुरोहित योगाचार्य टीम सुगना फाउंडेशन भारत 

रविवार, जून 15

"पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।

 "पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः  पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्व देवता"

पिताजी के वो डांट फटकार ओर शब्द .. जो बचपन में सिर्फ "खराब शब्द" लगे थे, पर आज "सबक" बन गए हैं! आईए जानते हैं कुछ वाक्य जो आपने जरूर सुने होंगे

1. "पढ़ाई पर ध्यान दो, बाकी सब बाद में!"

2. "मैं जो कर रहा हूं, सब तुम्हारे लिए कर रहा हूं।"

3. "खुद के पैरों पर खड़ा होना सीख।"

4. " अनपढ़ जैसे मत बन, मुझसे अच्छा बन।"

5. "बड़ा आदमी बन, लेकिन अच्छा इंसान पहले बन।"

6. "नाम रोशन करना, बस यही सपना है मेरा।"

7. "तेरी उम्र में मैं जिम्मेदारियां उठाता था।"

8. "खर्च सोच-समझकर करना, पैसे पेड़ पर नहीं उगते।"

9. "मां को कभी दुख मत देना, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"

10. "बचपन जल्दी निकल जाएगा, सम्हल जा।"

11. "कमाना आसान है, इज्जत कमाना मुश्किल।"

12. "अपने फैसले खुद ले, लेकिन सोच समझकर।"

13. "दोस्ती सोच समझकर करना, सब तेरे जैसे नहीं होते।"

14. "हर वक्त तेरे पीछे नहीं रहूंगा, खुद लड़ना सीख।"

15. "जो भी कर, मेरा सिर ऊँचा होना चाहिए!"

16. "मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा, तू खुश रहे बस।"

17. "जो सीख रहा है, ज़िंदगी में काम आएगा।"

18. "ज़िंदगी में गिरा भी तो उठना सीख।"

19. "तेरे लिए ही तो सब कुछ कर रहा हूं बेटा।"

20. "जिस दिन खुद के लिए खड़ा होगा, उसी दिन मेरा सपना पूरा होगा।"

21. "तू बस मेहनत कर, किस्मत मैं संभाल लूंगा।"

22. "कभी भी झूठ मत बोलना, चाहे हालात कैसे भी हों।"

23. "तू मेरा बेटा है, खुद पर भरोसा रख।"

24. "बेटा कितना भी बड़ा हो जाए, बाप हमेशा बाप ही रहेगा।"

25. "जब मैं नहीं रहूंगा, तब समझेगा कि मैं क्या था।"

आज जब ये शब्द याद आते हैं, तो लगता है…तब समझ नहीं आता था, पर आज ये हर वाक्य ज़िंदगी की नींव जैसा लगता है

अगर आपके पिताजी ने भी कभी इनमें से कुछ कहा हो…तो दिल से एक कमेंट जरूर करना ओर पोस्ट शेयर करना।           

आप सभी को "पितृ दिवस" की हार्दिक बधाई !

पिता जी के असीम त्याग और उठाए गए अनंत कष्टों के प्रति हृदयपूर्वक कृतज्ञता प्रकट करता हूँ... सवाई सिंह राजपुरोहित