आज का सुविचार
ध्यान की उच्चतम अवस्था में हम गहरी शांति महसूस करते हैं यानी गहरी शांति में जाना ही ध्यान में उतरना है। गहरी शांति में जाने के लिए विचारों का मानसिक कोलाहल खत्म होना चाहिए, पर यह कोलाहल तभी खत्म होता है जबकि हम अपने जीवन को, वह जैसा भी है अभी, पूरे दिल से पूरी तरह स्वीकार करते हैं।
कोलाहल अधूरेपन के भाव से पैदा होता है। यह भी कर लूं, वह भी कर लूं। मन हजार दिशाओं में दौड़ता है। दौड़ता हुआ मन शांत कैसे रह सकता है? बिना हिले-डुले किसी एक जगह बैठे रहने से ध्यान नहीं होता, वह मन के शांत होने पर ही हमारे भीतर उतरता है।
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