बुधवार, मई 2

जब भी हँसे, दिल से हँसे

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जब भी हँसे, दिल से हँसे! मन से हँसने वाले शरारती होते हैं 
और ओठों से हँसने वाले औपचारिक, 
हृदय से हँसने वाले ही आत्मा से हँस रहे होते हैं!  
श्री चन्द्रप्रभ जी


14 टिप्‍पणियां:

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    1. आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!

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  2. शानदार प्रस्तुती!

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  3. बहुत सुन्दर और सार्थक...

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    1. आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!

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  4. बेनामी5/05/2012 11:55:00 am

    Beautiful views .....

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  5. शानदार प्रस्तुति ,बढ़िया विचार बस यूं ही एक शैर कुछ कुछ मौजू
    कहाँ से लायें वो अंदाज़ मुस्कुराने के ,वो बदनसीब जिसे लब मिले हंसीं न मिली ...कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 5 मई 2012
    चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १
    चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १

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    1. आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति । मरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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    1. आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!

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    2. आदरणीय प्रेम सरोवरजी,आपका सुवागत है aaj ka agra ” ब्लॉग परिवार में शामिल होने पर और आपका बहुत बहुत शुक्रिया........

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  7. उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!

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