रविवार, अप्रैल 8

गुरू किसे बनायें


जिसमें सत्‍य को सत्‍य एवं असत्‍य को असत्‍य कहने का साहस हो, जो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्‍यहित में विश्‍वास रखता हो, जो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न हो, जो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्‍यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्‍त करना चाहिये!!

 चाणक्‍य नीति

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जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं!

भगवन गौतम बुद्ध


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11 टिप्‍पणियां:

  1. सर्वजन हिताय और सुन्दर उक्ति !

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    1. ब्लॉग से आपके प्रेम और स्नेह के लिए आभारी हूँ

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  2. guru dhoodh pana ......wah bhi aj ke yug me....bahut kathin hai dagar panghat ki.

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  3. बहुत सुन्दर सन्देश समाज को संवारने कि दिशा में -जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  4. बहुत बढ़िया..........................
    वाकई प्रतिदिन आने की सुंदर वजह है इस ब्लॉग में...

    शुक्रिया.

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  5. बेनामी4/10/2012 09:29:00 pm

    Hi sawai bahut sundar sandesh
    gopal rajpurohit

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  6. उन्नत समाज के लिये यह कीमती धरोहर है, हर युग में , हर काल में सत्य सदा सय्त रहेगा.

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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