शुक्रवार, मार्च 16

अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं।




अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं।
 महर्षि अरविन्द

14 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और अतिसुन्दर अभिव्यक्ति ! इसे सभी को अपने जीवन में उतारने चाहिए !

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  2. सच है गुरू की महिमा अपार है...

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  3. बिलकुल सच.....तभी ईश्वर से ऊपर दर्जा दिया गया है उन्हें !

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