मंगलवार, मई 31

दुसरे का अपराध सहनकर अपराधी पर उपकार करना..


 "दुसरे का अपराध सहनकर अपराधी पर उपकार करना, यह क्षमा का गुण पृथ्वी से सीखना और पृथ्वी पर सदा परोपकार रत रहने वाले पर्वत और वृक्षों से परोपकार की दक्षता लेना"
                       भगवान श्री कृष्ण
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आदरणीय जगदीशभाई चौधरीजी
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  आपका
      सवाई सिंह

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात .....मित्रो
    रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
    पानी गये न ऊबरे,मोती, मानुष, चून ॥
    "भटक रहे हैं प्यासे - प्यासे
    पंछी इधर - उधर बौराये
    झुलसाने वाली गर्मी से
    हैं ये कितने मुरझाये "
    "इनका ख़याल रखिये"

    सवाई जी आप से अनुरोध है आप इस सन्देश को आगे बडाए

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  2. भगवान श्री कृष्ण जी का कथन बिलकुल सही है!

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  3. यह क्षमा का गुण सिर्फ हमारे इंडिया मै ही हो सकता है

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  4. sahi hai humaari prakrti me hi sab shiksha chipi hai sajhne vaala hona chahiye.bahut uttam vichar ki post ke liye dhanyavaad.

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  5. आप सबका आभार यही मुझे उत्साहह प्रदान करेगा ...आपका शुक्रिया.

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  6. आप सबका आभार यही मुझे उत्साहह प्रदान करेगा ...आपका शुक्रिया.

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